शुक्रवार, 28 जुलाई 2023

शीघ्रपतन (Premature ejaculation) रोकने के लिए करें इन 5 आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल

आप जब भी किसी शहर के पुराने इलाकों की गलियों में या रेलवे स्टेशन के आस पास की दीवारों पर निगाह डालते हैं तो आपको हर तरफ गुप्त रोग और शीघ्रपतन के इलाज के पोस्टर ही चिपके नजर आते हैं। अपने देश में सेक्स और सेक्स से जुड़ी बीमारियों के बारे में लोगों की जागरूकता इतनी कम है कि कोई भी उन्हें बेवकूफ़ बनाकर इलाज हेतु गलत दवाइयां बेच देता है, जो कि कई बार नुकसानदायक भी हो सकती हैं. सेक्स पॉवर बढ़ाने के लिए, शीघ्रपतन का इलाज या किसी भी गुप्त रोग का इलाज करवाने के लिए किसी बाबा या झोलाछाप डॉक्टर के पास जाने की ज़रुरत नहीं है। पहले उस बीमारी के बारे में जानकारी लें, उसके लक्षणों को पहचानें और फिर उसके स्पेशलिस्ट डॉक्टर  के पास जाकर इलाज करवाएं।

यौन संबंध से जुड़ी कई समस्याएं ऐसी होती हैं जिनको आप कुछ घरेलू उपाय अपनाकर ही ठीक कर सकते हैं। शीघ्रपतन भी ऐसी ही एक समस्या है। आपमें से कई लोग शीघ्रपतन या शीघ्र स्खलन (Premature ejaculation) से पीड़ित हो सकते हैं। आइये शीघ्रपतन के बारे में विस्तार से जानते हैं :

क्या है शीघ्रपतन? 

सबसे पहले यह समझना ज़रुरी है कि आखिर शीघ्र स्खलन की समस्या क्या है? जब भी कोई पुरुष सेक्स करता है और वह शुरुआत के दो से तीन मिनट के अंदर ही अगर स्खलित हो जाता है या उसका वीर्य निकल जाता है तो इस समस्या को शीघ्र स्खलन रोग कहते हैं।  इसका मतलब यह है कि इस बीमारी से पीड़ित मरीजों के सेक्स की अवधि काफी छोटी होती है। हालांकि सेक्स करने में कुल कितना समय लगना चाहिए और कितनी देर बाद वीर्य स्खलित होना चाहिए इसके लिए कोई निर्धारित मापदंड नहीं हैं। आमतौर पर एक स्वस्थ पुरुष के संभोग की अवधि 2 से 5 मिनट के बीच की मानी जाती है जबकि शीघ्रपतन से पीड़ित कुछ मरीज तो एक मिनट के अंदर ही स्खलित हो जाते हैं।

शीघ्रपतन के कारण :

अगर पहली बार सेक्स करने पर आपके साथ ऐसा हो रहा है तो यह बिल्कुल सामान्य बात है लेकिन अगर हर बार सेक्स के दौरान आप जल्दी स्खलित हो रहे हैं तो फिर जान लें कि यह एक समस्या है। सेक्स के अनुभव की कमी और मानसिक तनाव होना शीघ्र स्खलन के मुख्य कारण है। इसके अलावा कुछ पुरुष अपनी उत्तेजना को नियंत्रित नहीं कर पाते हैं इस वजह से भी यह समस्या होती है। स्ट्रेस, डिप्रेशन, रिश्तों में तनाव या चिंता की वजह से भी आपको शीघ्र स्खलन की समस्या हो सकती है।

शीघ्रपतन का इलाज (PREMATURE EJACULATION TREATMENT IN HINDI):

शीघ्र स्खलन के अधिकतर मामलों में मरीज अपनी जीवनशैली में बदलाव लाकर और कुछ ख़ास घरेलू उपायों को अपनाकर इसे ठीक कर सकते है। एलोपैथी में वियाग्रा, सिल्डेनाफिल जैसी दवाइयों को शीघ्रपतन की दवा (Premature ejaculation medicine) के रुप में इस्तेमाल किया जाता है। इन दवाइयों के सेवन से शीघ्रपतन ठीक हो जाता है लेकिन कई बार आपको इनके दुष्प्रभाव भी झेलने पड़ सकते हैं। इसलिए बेहतर होगा कि आप शीघ्र स्खलन के आयुर्वेदिक उपाय अपनाएं।

शीघ्र स्खलन का आयुर्वेदिक उपचार  :

आयुर्वेद में शीघ्रपतन को ठीक करने के लिए कई तरह के औषधियों के सेवन की सलाह दी गई है। वास्तव में जिन औषधियों की तासीर ठंडी होती है वे ही औषधियां इस बीमारी के इलाज में उपयोग की जाती हैं।

खुराक1- शतावरी : यह एक आयुर्वेदिक औषधि है और इसका इस्तेमाल कई तरह की बीमारियों के इलाज में किया जाता है। खासतौर पर यह सेक्स से जुड़ी समस्याओं के इलाज में बहुत अधिक फायदेमंद है। आयुर्वेद में शतावरी के फायदों के बारे में विस्तार से बताया गया है। शतावरी के नियमित सेवन से शीघ्रपतन के मरीजों को जल्दी आराम मिलता है।.

रोजाना एक चम्मच शतावरी चूर्ण

सेवन का तरीका : आधा चम्मच शतावरी चूर्ण को दिन में दो बार शहद या दूध के साथ मिलाकर खाएं।

2- गोक्षुर : आयुर्वेद में बताया गया है कि गोक्षुर एक ऐसी जड़ी बूटी है जो वात पित्त कफ तीनों को नियंत्रित रखने में मदद करती है। गोक्षुर का इस्तेमाल मुख्य रुप से यौन शक्ति बढ़ाने और शीघ्र स्खलन जैसी बीमारियों के इलाज में किया जाता है। इसके सेवन से मांसपेशियों में ताकत आती है और टेस्टोस्टेरोन का लेवल बढ़ता है।

खुराक : रोजाना एक चम्मच गोक्षुर चूर्ण

सेवन का तरीका : आधा चम्मच गोक्षुर चूर्ण को घी और चीनी के साथ मिलाकर दिन में दो बार खाएं।

3- केसर : केसर के मुख्य फायदों से तो सभी भलीभांति परिचित है लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि केसर में कामोत्तेजक गुण भी होते हैं। आयुर्वेद के अनुसार केसर को दूध के साथ मिलाकर पीने से शीघ्रपतन की बीमारी ठीक हो जाती है। इसके अलावा केसर के नियमित सेवन से सेक्स पॉवर और कामेच्छा बढ़ती है।

खुराक :  रोजाना 5-7 केसर के रेशे (Styles)

सेवन का तरीका :  5-7 केसर के रेशे को दूध में उबालकर रात में सोने से पहले पिएं।

4- मकरध्वज : यह शरीर की ताकत बढ़ाने वाली जड़ी बूटी है। शीघ्र स्खलन के आयुर्वेदिक दवा के रुप में इसका इस्तेमाल प्रमुखता से किया जाता है। इसके अलावा यह वीर्य बढ़ाने और नपुंसकता दूर करने के इलाज में भी इस्तेमाल की जाती है। कई डॉक्टरों का भी मानना है कि शीघ्रपतन के लिए यह एक अचूक औषधि है। आप मकरध्वज का सेवन भष्म या वटी के रुप में कर सकते हैं। इसकी मात्रा या खुराक की अधिक जानकारी के लिए आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह लें।

खुराक : इसकी खुराक मरीज की वर्त्तमान स्थिति पर निर्भर करती है इसलिए खुराक के लिए डॉक्टर की सलाह लें।  

सेवन का तरीका : डॉक्टर द्वारा बताए गये निर्देशानुसार ही इसका सेवन करें।

5- मुलेठी : अधिकतर लोग मुलेठी का इस्तेमाल खांसी-जुकाम या गले की खराश दूर करने के लिए करते हैं लेकिन आपको जानकार हैरानी होगी कि शीघ्रपतन के इलाज में भी आप मुलेठी का इस्तेमाल कर सकते हैं। आयुर्वेद में मुलेठी को वात-पित्त नाशक और शुक्रवर्धक माना गया है। मुलेठी का इस्तेमाल शीघ्रपतन रोकने के घरेलू उपाय के रुप में किया जाता है।

खुराक : रोजाना एक चम्मच मुलेठी चूर्ण

सेवन का तरीका : शीघ्रपतन दूर करने के लिए रोजाना आधा चम्मच मुलेठी चूर्ण को दूध या शहद के साथ मिलाकर सेवन करें।

अगर ऊपर बताए गए किसी भी आयुर्वेदिक औषधि के सेवन के दौरान आपको किसी तरह की परेशानी होती है तो तुरंत नजदीकी डॉक्टर से परामर्श लें।  यकीन मानिए शीघ्रपतन का इलाज पूरी तरह संभव है लेकिन अगर आप शर्म और संकोच के कारण इलाज नहीं करवाते हैं तो आगे चलकर आपकी समस्या गंभीर हो सकती है।



आपका हितैषी

गंगा मणि दीक्षित

+919919650248

गुरुवार, 30 दिसंबर 2021

बाबूजी

❤️❤️ कल यानी की 20 जून को बाबूजी दिवस एक लेख लिखा शायद बाबूजी को पसंद आये ❤️❤️

अगर पिताजी हैं, समय दीजिए उनको ...

कल रात पिताजी मेरे सपने में आये थे। किसी बात पर मुझे कुछ समझाने की कोशिश कर रहे थे पर हमेशा की तरह मैं उनकी बात मानने को तैयार नहीं था। ठीक से कुछ याद नहीं लेकिन मैं नाराज़ होकर दूसरे कमरे में चला गया और फिर सपना टूट गया। नींद खुली और फिर यह अहसास हुआ कि वह एक सपना था। ऐसे सपने मुझे रोज आते हैं। पिताजी को गये 55 दिन बीत चुके हैं।

पिताजी के जाने का अभी तक मुझे विश्वास नहीं हुआ है , क्योंकि मैंने कभी भी इस जीवन में यह कल्पना नहीं की थी कि मुझे उनके बिना भी इस दुनिया में रहना पड़ेगा।
मुझे लगता था कि मेरे पिताजी कभी नहीं मरेंगे। अभी भी हमेशा यही लगता है कि जब भी घर जांऊंगा, पिताजी अपने रूम से निकल कर मेरी राह देखते होंगे, जब पैर छूकर आशीर्वाद लेता रहूंगा तो मेरे सर के ऊपर अपने दोनों हाथ फैलाकर अशोरवाद देते होंगे, अयोध्या से मिश्रौली जाने में 5 घंटे लगते है लेकिन बाबूजी बार बार अम्मा से कहते थे शाम को आएंगे, रास्ते भर काम करते आते होंगे
बाबूजी को अगर कोई बीमारी हो जाये तो सबसे पहले अम्मा से कहते थे "धन्नाजी" को न बताना, लड़का परेसान हो जाएगा, लेकिन पिछले दो बार से बाबूजी आशीर्वाद देने नही आये, और शायद अब कभी आएंगे भी नही,।

अब मुझे उनके बिना आशीर्वाद के ही घर मे जाना होता है, आदत डालनी की कोसिस में लगा हूँ, की बाबूजी को भूल जाऊ.... अब तो अपने और अपने छोटे भाई के जीवन के सारे काम उनके बिना ही करने पड़ेंगे जो उनके रहने पर उन्होने मुझे कभी नहीं करने दिया .... हक़ीक़त में मुझे अब मुझे सारा जीवन ही उनके बिना जीना है ...। कभी सोचा नहीं था कि एक ऐसा समय भी आयेगा जब बाबूजी नहीं रहेंगे और घर के सभी चीज़ों को संभालने के लिये ख़ुद को ही आगे बढ़ना पड़ेगा । मगर आज उनके बग़ैर ही जीना पड़ रहा है ...।
मानो कल की ही बात हो.. एक अच्छे भविष्य की आस में जब मैंने घर छोड़ा था ..उस वक़्त पिताजी पचास साल के थे। उसके बाद बस मेंहमान की तरह ही मेरा घर आना जाना हो पाता था , कभी दो दिन के लिये तो कभी चार दिन के लिये।
जब सूरत, पुणे, मुम्बई में नौकरी करता था तो ज़्यादा दिन नहीं रूक पाता था क्योंकि एक तो प्राइवेट नौकरी और ऊपर से सेलरी कटने का नुक़सान होगा और जब अपना खुद का बिज़नेस करने लग गया तब छुट्टी नहीं मिलती थी। ऐसे ही समय बीतता गया और हर साल बाबूजी से केवल 4-5 बार ही मिल पाता था । फ़ोन हर हफ्ते करते थे और एक ही बात रोज बोलते थे कि हां बाबू यहाँ सब ठीक है।

हमें पढ़ाने के लिये एक स्ट्रिक्ट फ़ादर होने का जो दिखावा उन्होने हमारे बचपन में शुरु किया था, उसी को जीते रहे। वह मुझे बहुत प्यार करते थे लेकिन कभी बोलते नहीं थे । मैं भी उन्हे बहुत प्यार करता हूँ लेकिन कभी खुलकर गले नहीं लग पाया उनसे। मैं कहीं भी होता था , उनका फ़ोन नियम से हफ्ते में एक बार जरूर आता था । फ़ोन पर यह कभी नहीं बोला कि आज तबियत ठीक नहीं है । हमेशा यही बोलते थे कि सब ठीक है ।

मुझे याद है वह दिन जब मैंने पीसीएस का प्री एग्जाम दिया था और फेल हो गया था, तब वह बहुत खुश थे, कहते थे जीवन मे कभी निराश न होना, पानी की तरह आगे बढ़ते जाओगे, और आज उनका कहा हर बात सत्य साबित हुआ, लेकिन बाबूजी मेरे खुसी में शामिल होने के लिए न रहे, बिज़नेस मैन इब बन गया तो अपने पुराने मित्र डॉक्टर राजेन्द्र सिंह से कहते मेरा बेटा एक अच्छे लेबल का व्यवसायी बन गया, जब कन्हाजी ने बिज़नेस स्टार्ट किया तो मुझसे बोले मेरे मन का भार अब हल्का हो गया..........वह ख़ुशी उनके चेहरे की चमक में दिख रही थी उसके बाद मानो जीवन में कुछ पाने को बचा ही नहीं था । भगवान ने उन्हें सब कुछ दे दिया था। एक छोटी सी डॉक्टरी पेसे से 4 बहन 2 भाइयो को उन्होंने पढ़ाया और जब दोनों बेटे अचछी जगह पर पहुँच गये तो वह संतुष्ट हो गये थे।

जिस सपने को टीटी बाबा ने देखा (मेरे बाबा को लोग टीटी बाबा) के नाम से जानते है, उस सपने को बाबूजी ने देखा और मुझसे कहा कि एक लड़का वकील बनना चाहिए, आज वही एक कसक मेरे मन मे रह गया.........पूरा करूंगा आपका सपना बाबूजी।

एक ओर हम भाइयों की उपलब्धियों से जहाँ वह बहुत ख़ुश रहते थे वहीं हम लोग से दूर रहने पर वह भीतर ही भीतर दुखी भी रहते थे । साथ ही साथ इन बीते सालों में पिताजी का स्वास्थ्य तेज़ी से निखर रहा था। वैसे हर साल हम उनका मेंडिकल चेकअप कराते रहते थे । लेकिन सबका समय भगवान लिखकर भेजता है । ऐसे ही दूर दूर जीते हुये सत्रह साल बीत गये और अचानक 55 दिन पहले पिताजी चले गये । मिडिल क्लास के लड़के संघर्ष ही करते रह जाते हैं , और वक़्त हाथ से निकल जाता है । हम लोग माँ बाप के संघर्ष से अमूमन अंजान ही रहते हैं ..... क्योंकि जब माँ बाप संघर्ष करते रहते हैं तब हम खुद ही अबोध होते हैं .... जब जानने की उम्र आती है तब हमारे अपने संघर्ष शुरू हो जाते हैं ....ऐसे ही चलता है जीवन ... ।

अंग्रेज़ी नॉवेलिस्ट थॉमस हार्डी ने कहीं लिखा था कि "हैप्पीनेस इज बट एन ऑकेज़नल एपिसोड इन जनरल ड्रामा ऑफ़ पेनफुल लाइफ़" ( ख़ुशियाँ दुख भरे जीवन में कभी कभी ही आतीं हैं ) । मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ । पिताजी ने हमारे जीवन के लिये अपना सबकुछ त्याग दिया और जब हम शायद उनके लिये कुछ भी नहीं कर पाये । जब उनका सही में जीवन जीने के समय आया , तब भगवान ने उन्हें हमसे छीन लिया । बहुत कुछ करना था उनके लिये , बहुत कुछ बताना था उनको , कुछ माफ़ी भी माँगनी थी उनसे ... लेकिन वह सब उनके जाने के साथ ही मेरे भीतर ही है अब ....।

जीवन की आपाधापी मे मिडिल क्लास के बच्चे मेरी तरह ही अपनों को खो देते हैं । बाद मे केवल अफ़सोस रह जाता है । कनाडा और अमरीका जाने वाले लोग तो अपनों को आख़िरी बार देख भी नही पाते हैं । जीवन मे हासिल की गईं तमाम ऊँचाइयाँ इन मौक़ों पर खोखली सी नज़र आतीं हैं । जाने वाले कभी लौट कर नही आते और अमूमन सभी लोग अपनों के जाने के बाद ही इस बात को महसूस कर पाते हैं । जीवन अपनों से हैं , अपनी उपलब्धियों से नही ...।

बाबूजी को भगवान ने एक बड़ा जीवन दिया , लेकिन उसकी उम्र कम थी । उनका जाना पूरे परिवार को हिला गया । मानो किसी ने अंदर तक काट दिया है परिवार की आत्मा को । शरीर से जैसे जान अलग हो गयी हो । पिताजी का जाना मैं आज तक स्वीकार नहीं पाया हूँ । पिताजी अकेले नहीं गये , वह अपने साथ मेरा पूरा घर लेकर चले गये। उनकी याद मेरे घर के जर्रे ज़र्रे में , घर के हर कोने में है । घर की हर एक चीज़ उनकी यादों से भरी हुई है । उनकी डायरी में उनकी लिखावट आज भी ज़िंदा है । उनकी अटैची में रखे हुये उनके पुराने कपड़ों में उनकी ख़ुशबू मैं आज भी महसूस कर सकता हूँ । उन्हें पैंट शर्ट पहनने का बहुत शौक़ था , आलमारी में टंगे वह सारे पैंट शर्ट आज भी शायद उनके आने का इंतज़ार कर रहे हों । उनकी किसी भी चीज़ को अपने से दूर करना असंभव है । उनकी हर एक चीज़ में मेरी यादें जुड़ी हुईं है और मैं अपनी यादों को अपने से कभी अलग नहीं कर सकता । आज मेरा दिल उनके जीवन की याद के साथ धड़क रहा है, आंखों में आशू लिए कलम मानो ठहर सी जा रही है, लेकिन क्या करूँ ,खुद से सवाल और खुद का जवाब कोई न है मेरे आस पास,

बाबूजी कभी नहीं मर सकते । मैंने उनको और उनकी यादों को अपने भीतर ही ज़िंदा कर लिया है ...बाबूजी अब उसी दिन मरेंगे , जिस दिन मैं मरूँगा ...।

❤️लेख इस लिंक पे भी उपलब्ध है❤️ 👇

http://dhunt.in/hCRHQ?s=a&uu=0xd602f853e7092b90&ss=wsp
Source : "ttbabasamachar"

लेखक
गंगा मणि दीक्षित
सदस्य- आल इंडिया मीडिया एसोसिएशन
जिला ब्योरो चीफ- गौवाड़ी समाचार
प्रदेश प्रभारी - V9 समाचार
संस्थापक- टीटी बाबा समाचार

बुधवार, 29 दिसंबर 2021

स्वामी विवेकानन्द 12 jan 2022

लोग मुझ पर हंसते हैं                                      क्योंकि में अलग हूँ

में लोगों पर हंसता हूँ 

क्योंकि वो सब एक जैसे हैं।

                       स्वामी विवेकानंद जयंती 2022

नाम        – स्वामी विवेकानंद

गुरु/शिक्षक   – रामकृष्ण परमहंस

जन्म       – 12 जनवरी 1863 अब कोलकाता

दर्शन       – आधुनिक वेदांत, राज योग

धर्म        – हिन्दू

मृत्यु       – 4 जुलाई 1902

राष्ट्रीयता    – भारतीय

साहित्यिक कार्य – राज योग (पुस्तक)

 

स्वामी विवेकानंद का मूल मंत्र-

युवा शक्ति का आह्वान करते हुए उन्होंने एक मंत्र दिया था, 'उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत' अर्थात् 'उठो, जागो और तब तक मत रूको, जब तक कि मंज़िल प्राप्त न हो जाए।

 

युवाओं के प्रेणानाश्रोत के रूप में विख्यात स्वामी विवेकानंद का जन्म 1863 में हुआ था। उनका बचपन का नाम नरेंद्र दत्त था।

विवेकानंद एक महान हिन्दू संत और नेता थे, जिन्होंने रामकृष्ण मिशन और रामकृष्ण मठ की स्थापना की थी। इस महापुरुष का जन्मदिन प्रत्येक वर्ष 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाते हैं। उन्होंने विश्व के लोगों को भारत के अध्यात्म का दर्शन कराया।.

उनकी जयंती प्रत्येक वर्ष पूर्णिमा के बाद पौष कृष्ण पक्ष में सप्तमी को मनाई जाती है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य युवा पीढ़ी को प्रेरित करने के साथ ही उनके पवित्र आदर्शों को आने वाली पीढ़ियों में जगाना था।

 

स्वामी विवेकानंद के प्रमुख  सामाजिक विचार:-
1.
दरिद्र नारायण (मानव सेवा)
2.
शिक्षा को महत्व
3.
ब्राह्मणवाद का विरोध
4.
श्रमिक कल्याण
5.
नारी सशक्तिकरण
6.
राष्ट्रवाद का समर्थन

विवेकानंद का सामाजिक दर्शन अन्य दार्शनिकों की अपेक्षा बहुत अधिक व्यवहारिक था विवेकानंद के दर्शन पर वेदांत दर्शन का अधिक प्रभाव था। अतः व्यक्ति व्यक्ति के मध्य किसी भी आधार पर भेदभाव का विरोध करते थे विवेकानंद का मानना था कि पश्चिमी मानववाद जिसके अंतर्गत व्यक्तियों की स्वतंत्रता सामाजिक समानता तथा स्त्रियों के लिए न्याय सम्मान के गुणों को भारत में अपनाया जाना चाहिए ताकि भारत भी आधुनिक हो सके।

               
विवेकानंद पहले ऐसे  व्यक्ति थे जिन्होंने ना केवल स्त्री स्वतंत्रता समानता पर बल दिया अपितु उन्होंने स्त्री सशक्तिकरण को भी अधिक महत्व दिया ,उनका मानना था कि यदि स्त्री सशक्तिकरण होगा तो वे स्त्रियां समाज परिवार के विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकेगी।

विवेकानंद  जी प्रत्येक मानव को समान मानते थे और मानव में ईश्वर अर्थात नारायण का वास मानते थे ,वे मानते थे कि मानव की सेवा ही ईश्वर की सेवा है और ईश्वर की प्राप्ति हेतु उस ईश्वर की सेवा अधिक महत्वपूर्ण होती है जो ईश्वर गरीबों अर्थात दरिद्र में वास करता है अर्थात " दरिद्र ही नारायण " होता है।

               
विवेकानंद यह प्रमुखता से स्वीकार करते हैं कि मनुष्य ही ईश्वर हैं जो सभी मनुष्यों में समान रूप से व्याप्त हैं , विवेकानंद समाज कल्याण हेतु आधुनिक शिक्षा पद्धति को बहुत अधिक महत्व देते थे उनका मानना था कि शिक्षा का प्रचार प्रसार करने में समाज में सर्वश्रेष्ठ उत्तम विचारों का समावेश होगा ,परिणाम स्वरुप समाज में नवीन तकनीकी और वैज्ञानिक दृष्टिकोण होने से समाज का कल्याण होगा।

विवेकानंद जी ने तात्कालिक समाज में प्रचलित ब्राह्मणवाद एवं विभिन्न कुरीतियों  का खुलकर विरोध किया और उस समय हिंदू धर्म में जिन आडंबर कर्मकांड ओं का प्रचलन था विवेकानंद उसे अस्वीकार करते थे वे धर्म को इन सभी आडंबरो  से मुक्त करके धर्म को व्यक्ति की स्वतंत्रता और आनंद की प्राप्ति का प्रमुख माध्यम बनाना चाहते थे ,उनका मानना था कि धर्म भय  की वस्तु ना होकर प्रेम और आनंद  का सर्वोत्तम माध्यम है ,जो व्यक्ति के व्यक्तित्व विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

                    विवेकानंद श्रमिक कल्याण अर्थात उत्पादन करने वाले मजदूरों को अधिक महत्व देते थे ,उनका मानना था कि श्रमिकों के द्वारा जो उत्पादन किया जाता है उस उत्पादन में श्रमिकों का हिस्सा भी होना चाहिए क्योंकि वह इसके वास्तविक हकदार होते हैं।

               
विवेकानंद आध्यात्मिक गुरु होने के साथ राष्ट्रवादी विचारक थे ,उन्होंने देश के युवाओं को राष्ट्रवाद के लिए प्रेरित किया और कहा कि राष्ट्र का कल्याण तथा सेवा युवाओं का नैतिक धर्म है ,उन्होंने अपने राष्ट्रवाद को अंतर्राष्ट्रीय  स्वरूप में प्रस्तुत किया ,अर्थात प्रत्येक मनुष्य को अपने राष्ट्र के प्रति नैतिक रूप से उत्तरदाई होना चाहिए ,राष्ट्र के प्रति जो कर्त्तव्य  होते हैं, उन्हें प्राथमिकता के साथ पूरा करना चाहिए।

 

स्वामी विवेकानंद के प्रमुख  दार्शनिक विचार
1. वेदांत हिंदू धर्म की व्यवहारिक व्याख्या
2.
गीता के निष्काम कर्म का समर्थन
3.
आध्यात्मिक मानववाद
पूरब और पश्चिम के मिलन के समर्थक

 

विवेकानंद जी ने " अध्यात्मिक मानववाद " को अपने दर्शन में अधिक महत्व दिया ,आध्यात्मिक मानववाद से तात्पर्य अध्यात्म का उपयोग मानव कल्याण के लिए करना और आध्यात्मिक चिंतन में केवल उन्हीं पक्षों को सम्मिलित करना जो मानव के लिए उपयोगी कल्याणकारी हो।,

 

धर्म के बारे में स्वामी जी की सोच

स्वामी विवेकानंद धर्म के बारे में अग्रसर सोच रखते थे. उन्होंने पूरे विश्व को बताया कि हिंदू धर्म हमेशा सामान व्यवहार करने और व्यक्ति के व्यक्तितव को निखारने के लिए पूरे विश्व को तैयार करता है.

मुझे गर्व है कि मैं उस धर्म से हूं जिसने दुनिया को सहिष्णुता और सार्वभौमिक स्वीकृति का पाठ पढ़ाया है. हम सिर्फ़ सार्वभौमिक सहिष्णुता पर ही विश्वास नहीं करते बल्कि, हम सभी धर्मों को सच के रूप में स्वीकार करते हैं. मुझे गर्व है कि मैं उस देश से हूं जिसने सभी धर्मों और सभी देशों के सताए गए लोगों को अपने यहां शरण दी.

 

स्वामी जी के अनुसार योग क्या है

स्वामी विवेकानंद के अनुसार; जो व्यक्ति मन को संयमित करने का रहस्य जान जाए वही योग है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

Enrolment Number- 2105013625

RC CODE- COE: Centre for online education

Name- Ganga Mani Dixit

Corse Name- PGCGPS: PG: Certificate in Gandhi and Peeace Studies

EMAIL-ID- gangamanidixit@gmail.com

Contact Number- +91-8788439261

Address- Village Mishrouli Dixit, Post Bhatni- District- Deoria- 274701

Date – 29/12/2021