कुछ लिखूंगा, जरूर लिखूंगा, लेकिन याद रखना जब लिखूंगा तब् बेहिसाब लिखूंगा,
लिखूंगा लेकिन जरूर लिखूंगा,
कुछ शब्द तेरे लिए ज़रूर लिखूंगा,
बेहिसाब उसमे तेरा किरदार भरूंगा,
तू भुलाने और भूल जाने की माहिर,
मैं तेरी नजरो का कसूरवार लिखूंगा,
कुछ शब्द तेरे लिए..............
तेरा हुश्न, तेरा गरूर है सनम,
ये मुझे मालूम है इसलिए बेइंतहा लिखूंगा,
तू , तुम, तुम्हारे लिए, नहीं........नहीं
रे बाबा तेरे लिए नहीं तेरे गरूर पे भी जरूर लिखूंगा,
कुछ शब्द तेरे लिए .........जरूर लिखूंगा................
टूट ही गए वो सारे खिलौने,
जो बचपन में साथ लेकर खेलते थे,
लेकिन अब तुम दिलो से खेला करती हो,
इसलिए तेरा दस्तूर लिखूंगा,
वफाओ की राह में न् चल सकी तो क्या हुआ,
सरेआम तुम्हारे नाम अब FIR लिखूंगा,
ता उम्र तुम रहो फरार ये भोलू,
अब तो तुम्हारे ही नाम जुस्तजू भी लिखूंगा,
कुछ शब्द तेरे लिए.......जरूर लिखूंगा.......
खुद बढ़ाया है जो तुमने जादुई जुदाई का फासला,
ऐसे तेरे हर एक कदम को नामंजूर लिखूंगा,
हमे खेलने की आदत नहीं और न् खिलौनों का शौख है,
तुम्हारी जज्बातो को अपने कलम की तासीर लिखूंगा,
मेरा वजूद और तीन वजूद एक सा लगे तुझे,
लेकिन फिर भी तेरे से दूर खुद को बहुत दूर लिखूंगा,
कुछ शब्द तेरे लिए जरूर लिखूंगा,
बेहिसाब उसमे तेरा किरदार भरूंगा, कुछ शब्द.......
कुछ शब्द तेरे लिए जरूर लिखूंगा.....जरूर लिखूंगा
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