अखण्ड भारत का सपना कहता - आज़ादी अभी अधूरी है।
सपने सच होने बाक़ी हैं, गरीबो की शपथ न पूरी है॥
2 रुपये में चावल लेकर 14 में बेचा जाता है।
3 रुपये गेंहू के दाम 15 में तौला जाता है।।
गरीबो के पास बुलेट है, लेकिन अंत्योदय धारक है।
बहुत बिडम्बना है भाई क्योंकि ये गरीब कहे जाते है।।
शस्त्र रखने वाले भी गरीबी के नीचे जीते है।
Cbse बोर्ड में उनके लड़के पढ़ते, फिर भो गरीब कहे जाते है।।
कलकत्ते के फुटपाथों पर जो आंधी-पानी सहते हैं।
उनसे पूछो, गरीबी के बारे में क्या कहते हैं॥
हिन्दू के नाते उनका दुख सुनते यदि तुम्हें लाज आती।
तो बिहार झारखंड घूम आओ, जहा सभ्यता कुचली जाती।।
इंसान जहाँ बेचा जाता, ईमान ख़रीदा जाता है।
इस्लाम सिसकियाँ भरता है,डालर मन में मुस्काता है॥
भूखों को गोली नंगों को हथियार पहनाए जाते हैं।
सूखे कण्ठों से लोगो से, जेहादी नारे लगवाए जाते हैं॥
यूपी, बिहार, महारष्ट्र, मध्य प्रदेश, भर्ष्टाचार की काली छाया है।
ओडिसा, बंगाल, झारखंड, गमगीन गुलामी साया है।।
बस इसीलिए तो कहता हूँ, गरीबी अभी अधूरी है।
कैसे हशु , मुशुकुराउ मैं? थोड़े दिन की मजबूरी है॥
दिन दूर नहीं एकत्र करेंगे पुनः अखंड बनाएँगे।
एक जोड़ आप बनते जाओ, पुनः पर्व मनाएंगे।।
उसके लिए आज से, कमर कसे, बलिदान करे।
भरष्टाचार हो मुक्त भारत, इसके लिए प्रयास करे।।
सुरसरि मणि की बातों को अमल करो, जवान बनो।
अंत्योदय की हो सही जांच, गरीबो का उद्धार करो।।
आरटीआइ एक नैतिकता है, जिम्मेदारी है, हम सबकी,
मिले जायज हक सबको, नाजायज न हो बात अपनी।।
सुधरने वाले सुधर जाओ, अभी तो ये अंगड़ाई है।
यही नारा है हम सबका आगे बहुत लड़ाई है।।
सबका साथ सबका विकाश, इसको पूरा करना है।
सत्यता की साथ तक अब हमको पहुचना है।।
एक राष्ट्र चिंतक
बहुत बढिया
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