गुरुवार, 30 अप्रैल 2020

इंसान को इंसान बनाया जाय


अब तो सुरसरि मणि कुछ ऐसा किया जाय
जिसमे इंसान को इंसान बनाया जाय।

जिसकी मुस्कान से महक जाए पड़ोसी का घर
ऐसी फूलो को हर गली में सजाया जाय।

क्रोध बढ़ते है यहां इंसानों के बीच
कोई बतलाये कहां क्रोध को दफनाया जाय।

मणि ने मणि का खून किया ये जानने के लिए
हर अंधेरे घर को अब उजाले में बुलाया जाय।

पड़ोसी के दुःख दर्द का तुझ पर हो असर ऐसा
मैं रहूँ भूखा तो तुझसे भी न खाया जाए।

जान जहॉं दो होके भी दिल एक हो अपने जैसा
मेरा आँसू तेरा आँसू आ अब मिलके पलको पे उठाया जाए।

गीत, गजल, रुबाई, संगीत, रसखान , कबीर के दोहे है,
आ ऐसा माहौल बनाये की फिर सुरसरि मणि को बुलाया जाय।

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