गुरुवार, 12 मई 2016

12 मई का इतिहास

आज का इतिहास एक झलक में।आज शमशेर बहादुर सिंह जी की पुण्यतिथि है, आइये इस कवी को नमन करते हुए इनकी एक कविता को यादो में संजोते है।
यहाँ कुछ रहा हो तो हम मुँह दिखाएँ
उन्‍होंने बुलाया है क्‍या ले के जाएँ

कुछ आपस में जैसे बदल-सी गयी हों
हमारी दुआएँ तुम्‍हारी बलाएँ

तुम एक खाब थे जिसमें खुद खो गये हम
तुम्‍हें याद आएँ तो क्‍या याद आएँ

वो एक बात जो जिंदगी बन गयी है
जो तुम भूल जाओ तो हम भूल जाएँ

9⃣3⃣2⃣4⃣8⃣9⃣4⃣6⃣0⃣8⃣

वो खामोशियाँ जिनमें तुम हो न हम हैं
मगर हैं हमारी तुम्‍हारी सदाएँ

बहुत नाम हैं एक 'शमशेर' भी है
किसे पूछते हो, किसे हम बताएँ।।

अब जय बाबा मोदक वाले का नाम लेकर इतिहास की एक झलक देख लेते है।

आज यानी की 12 मई को अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस मनाया जाता है- नोबल नर्सिंग सेवा की शुरूआत करने वाली 'फ्लोरेंस नाइटइंगेल' के जन्म दिवस पर हर साल दुनिया भर में 12 मई को मनाया जाता है।

आज ही के दिन 12 मई 2010 - को बिहार के चर्चित बथानी टोला नरसंहार मामले में भोजपुर के प्रथम अपर ज़िला एवं सत्र न्यायाधीश अजय कुमार श्रीवास्तव ने तीन दोषियों को फांसी तथा 20 को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई।

आज ही के दिन 12 मई 1875 - को कृष्णचन्द्र भट्टाचार्य - प्रसिद्ध दार्शनिक, जिन्होंने हिन्दू दर्शन पर अध्ययन किया इनका जन्म हुआ।

आज ही के दिन 12 मई 1895 को जिद्दू कृष्णमूर्ति का जन्म हुआ ये एक विश्व प्रसिद्ध दार्शनिक तथा आध्यात्मिक विषयों के बड़े ही कुशल एवं परिपक्व लेखक थे। इन्हें प्रवचनकर्ता के रूप में भी ख्याति प्राप्त थी। जे. कृष्णमूर्ति मानसिक क्रान्ति, बुद्धि की प्रकृति, ध्यान और समाज में सकारात्मक परिवर्तन किस प्रकार लाया जा सकता है, इन विषयों आदि के बहुत ही गहरे विशेषज्ञ थे। अपनी मसीहाई छवि को दृढ़तापूर्वक अस्वीकृत करते हुए कृष्णमूर्ति ने एक बड़े और समृद्ध संगठन को भंग कर दिया, जो उन्हीं को केंद्र में रखकर निर्मित किया गया था; उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि सत्य एक ‘मार्गरहित भूमि’ है और उस तक किसी भी औपचारिक धर्म, दर्शन अथवा संप्रदाय के माध्यम से नहीं पहुंचा जा सकता।

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