शुक्रवार, 20 मई 2016

20 मई का इतिहास

आज का इतिहास जानने से पहले एक कविता जो सुमित्रा नंदन पंथ की है-

सुन्दरता का आलोक-श्रोत
है फूट पड़ा मेरे मन में,
जिससे नव जीवन का प्रभात
होगा फिर जग के आँगन में!
मेरा स्वर होगा जग का स्वर,
मेरे विचार जग के विचार,
मेरे मानस का स्वर्ग-लोक
उतरेगा भू पर नई बार!
सुन्दरता का संसार नवल
अंकुरित हुआ मेरे मन में,
जिसकी नव मांसल हरीतिमा
फैलेगी जग के गृह-बन में!
होगा पल्लवित रुधिर मेरा
बन जग के जीवन का वसन्त,
मेरा मन होगा जग का मन,
औ’ मैं हूँगा जग का अनन्त!
मैं सृष्टि एक रच रहा नवल
भावी मानव के हित, भीतर,
सौन्दर्य, स्नेह, उल्लास मुझे
मिल सका नहीं जग में बाहर!
🙏🏽🙏🏽🙏🏽 🚩🚩 🙏🏽🙏🏽🙏🏽
इतिहास को शब्दों की कमी नहीं है और न ही इतिहासकारो की। आज का इतिहास भी कुछ इसी कारणों से चर्चा में है। आइये प्रभु भोले नाथ का नाम लेकर आज के इतिहास के बारे में जानने की कोसिस करते है|🚩

15वीं शताब्दी में भारत को खोजने की होड़ छिड़ी थी. कई नाविक भटक रहे थे. लेकिन 20 मई 1498 को वास्को डा गामा से कालीकट पहुंच कर भारत को खोज ही निकाला.

आज ही के तारीख में 1900 में हिंदी साहित्‍य के महान कवि सुमित्रानंदन पंत का जन्‍म हुआ था.

आइये नमन करते है जिनका आज पुण्यतिथि है|

1932 - विपिन चन्द्र पाल - भारत में 'क्रान्तिकारी विचारों के जनक' का आज पुण्यतिथि है|

1957 - टी. प्रकाशम, प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी का आज पुण्यतिथि है|
आज की अंतिम कविता भी सुमित्रा नंदन पंथ की याद में-

वह विजन चाँदनी की घाटी
छाई मृदु वन-तरु-गन्ध जहाँ,
नीबू-आड़ू के मुकुलों के
मद से मलयानिल लदा वहाँ!
सौरभ-श्लथ हो जाते तन-मन,
बिछते झर-झर मृदु सुमन-शयन,
जिन पर छन, कम्पित पत्रों से,
लिखती कुछ ज्योत्सना जहाँ-तहाँ!
आ कोकिल का कोमल कूजन,
उकसाता आकुल उर-कम्पन,
यौवन का री वह मधुर स्वर्ग,
जीवन बाधाएँ वहाँ कहाँ?

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