मंगलवार, 18 मई 2021

आइये जानते है ngo क्या है, किस प्रकार है

भारतीय ट्रस्ट एक्ट 1882 के अनुसार 3 तरह के ngo है। कंपनी, सोसाइटी, और ट्रस्ट 

1)कंपनी एक्ट के तहत अलाभकारी कंपनी,
2) सोसायटी एक्ट के तहत रजिस्टर की हुई सोसायटी व
3) ट्रस्ट एक्ट के तहत रजिस्टर की हुई पब्लिक चेरिटेबल ट्रस्ट ये तीनों एनजीओ ही कहलाती है.

कानून/ एक्ट जिनके तहत एनजीओ को रजिस्टर कराया जाता है.
1)कंपनीज एक्ट
2)सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट 1860 3)इंडियन ट्रस्टस एक्ट / बॉम्बे ट्रस्ट एक्ट/ देवस्थान ट्रस्ट एक्ट

रजिस्ट्रेसन के लिए कितना समय लगता है.
1) कंपनी -3 से 6 महिना
2) सोसाइटी -एक से दो महिना
3) ट्रस्ट - दो दिन से एक


रजिस्ट्रेशन के लिए अधिकृत संस्थान:-
1) कंपनी - रजिस्ट्रार ऑफ़ कम्पनी

2) सोसाइटी - रजिस्ट्रार या डीप्टी रजिस्ट्रार ऑफ़ सोसायटीज / चैरिटी कमिश्नर जो सम्बंधित राज्य / चैरेटी कमिश्नर के न्याय क्षेत्र में है.

3) ट्रस्ट - सब रजिस्ट्रार ऑफ़ रजिस्ट्रेशन / चैरिटी कमिश्नर



संस्था के नाम अप्रूवल के विषय में:-
1) कंपनी- रजिस्ट्रेशन से पहले रजिस्ट्रार ऑफ़ कम्पनी से एप्रूवल अनिवार्य

2) सोसाइटी - जिस रजिस्ट्रार ऑफिस से संस्था रजिस्टर करवा रहे है. उस रजिस्ट्रार के अधिकार न्याय क्षेत्र में यदि वांछित संस्था नाम पूर्व में रजिस्टर्ड न हो तो संस्था का नाम एप्रूवल हो जायगा. यदि उस कार्यालय से पहले से ही उसी नाम से संस्था रजिस्टर्ड है तो संस्था का नाम एप्रूवल नही होगा.

3) ट्रस्ट - नाम एप्रूवल जरूरी नहीं बशर्ते रजिस्टर करवाई जा रही संस्था का नाम एम्बलम एक्ट के तहत नहीं आता हो.



द स्टेट एम्बलम ऑफ़ इंडिया (प्रोहिबिशन ऑफ़ इम्प्रोपर यूज़ एक्ट 2005)

1) कंपनी - यदि नाम एम्बलम एक्ट के दायरे में आता है तो उस नाम से एप्रूवल नहीं होगा.

2) सोसाइटी - यदि नाम एम्बलम एक्ट के दायरे में आता है तो उस नाम से एप्रूवल नहीं होगा.

3) ट्रस्ट - यदि नाम एम्बलम एक्ट के दायरे में आता है तो उस नाम से अनुमति नहीं मिलेगी.
(विशेष टिपण्णी: यदि सम्बंधित रजिस्ट्रार ऑफिस के अधिकारी कर्मचारी एक्ट के दायरे में नहीं आने पर भी यदि ट्रस्ट का नाम एप्रूवल करने के लिए मना करते है, ऐसे में कानूनी चुनौती दी जा सकती है)



परिवार के सदस्य संस्था के सदस्य बन सकते है?

1) कंपनी - कम्पनी का डायरेक्टर / निदेशक कोई भी हो सकता है. लेकिन संस्था के लिए सरकारी/ विदेशी गैर सरकारी अनुदान नहीं मिल सकता.
एक ही परिवार के सदस्य का कम्पनी में होना यहाँ अनुदान में बाधक है.

2) सोसाइटी -एक ही परिवार के सदस्य सोसायटी में नहीं हो सकते.

3) ट्रस्ट - ट्रस्ट बनवाने से समय परिवार के सदस्यों का ट्रस्ट होना किसी भी तरह से गैर कानूनी नहीं है. सरकारी, विदेशी, गैर सरकारी अनुदान लेने के समय परिवार के सदस्य की जगह किसी अन्य को जो एक परिवार से न हो को शामिल करना होता है.



राज्य स्तर पर संस्था रजिस्टर हेतु कम से कम अनिवार्य सदस्य संख्या ।

1) कंपनी -कम से कम दो डायरेक्टर /निदेशक

2) सोसाइटी - कम से कम सात सदस्य


3) ट्रस्ट - कम से कम दो ट्रस्टी


राष्ट्रीय स्तर पर संस्था रजिस्टर हेतु कम से कम अनिवार्य सदस्य संख्या.
(अधिकतम सदस्य संख्या का कोई दायरा नहीं. अधिकतम सदस्य जितने उपलब्ध हों और संस्थान/संगठन बनाने/चलाने वाले चाहे उतने हो सकते है.)
1) कंपनी -कम से कम दो डायरेक्टर /निदेशक

2) सोसाइटी - कम से कम आठ सदस्य. आठ सदस्य देश के 8 अलग-अलग राज्यों से होना जरूरी है.

3) ट्रस्ट - कम से कम दो सदस्य अनिवार्य



गवर्निग स्ट्रक्चर (कार्यकारिणी प्रारूप)

1) कंपनी - 1 जनरल बॉडी ऑफ़ डायरेक्टर्स
2. बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स

2) सोसाइटी - 1. जनरल बॉडी
2. एक्जेक्युटिव कमिटी


3) ट्रस्ट - 1.जनरल बॉडी/ बोर्ड ऑफ़ ट्रस्टीज/ बोर्ड ऑफ़ मेम्बर्स
2. एक्जेक्यूटिव कमिटी या सिर्फ जनरल बॉडी ऑफ़ ट्रस्टीज


संस्था संचालन का कार्यक्षेत्र

1) कंपनी - सम्पूर्ण भारत में कहीं पर भी. बशर्तें केंद्र सरकार द्वारा उसे वैध मान्यता प्राप्त हो.

2) सोसाइटी - राष्ट्रीय स्तर पर रजिस्टर की हुई संस्था सम्पूर्ण भारत में संस्था का कार्य कर सकती है. राज्य स्तर पर गठित संस्था राज्य में ही रह कर कार्य कर सकती है. देश के अन्य भागों में वह कार्य कर सकती है लेकिन इसके लिए संबंधित राज्य सरकार को आपत्ति न हो.

3)ट्रस्ट - ट्रस्ट एक्ट के तहत रजिस्टर्ड संस्था सम्पूर्ण भारत में कार्य कर सकती है. बशर्तें ट्रस्ट डीड में इस तरह के प्रावधान / क्लाज को शामिल किया गया हो.कुछ विशेष राज्यों में



संस्था में अधिकार वोटिंग व अन्य:-

1) कंपनी - डायरेक्टर्स के पास शेयर होल्डिंग क्षमता के आधार पर वोटिंग अधिकार के प्रावधान है.

2) सोसाइटी - जनरल बॉडी के प्रत्येक सदस्य को समान वोटिंग अधिकार है.

3) ट्रस्ट - सभी ट्रस्टीज को समान वोटिंग अधिकार है यदि उसे विशेष पावर नहीं दिए गये हो तो. अधिकृत सदस्यों को भिन्न पावर हो सकते हैं. ट्रस्ट में सेटलर को विशेष अधिकार भी दिए जा सकते है. अगर सेटलर चाहे तो ट्रस्ट में कई और अधिकार भी ले सकता है.



फंडिंग : फंडिंग प्राप्त करने की शर्तें, नियम व प्रक्रिया कम्पनी, सोसायटी व ट्रस्ट में एक जैसी ही है.

1)कंपनी - कम्पनी के पास फंड मिलने की संभावनाएं व अवसर हमेशा रहते है.

2) सोसाइटी - सोसायटी को राज्य व केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों के नियमों को पूरा करने पर फंड मिल जाता है.

3) ट्रस्ट - ट्रस्ट को राज्य व केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों से उनके नियम व शर्तानुसार फंड मिल जाता है.



इनकम टेक्स विभाग में एन्यूअल रिटर्न व अन्य डोक्यूमेन्ट्स सबमिट करने के संबंध में:- 

1) कंपनी - वित्तीय वर्ष के आखरी में कम्पनी को एन्यूअल रिटर्न और एकाउंट्स की ओडिट करवानी होती है.

2) सोसाइटी - सोसायटीज रजिस्ट्रेशन एक्ट की धारा 4 के अनुसार प्रत्येक वित्तीय वर्ष की एन्यूअल रिपोर्ट, इनकम टेक्स की ओडिट के साथ प्रस्ताव पारित कर सोसायटीज रजिस्ट्रार ऑफिस को भेजनी होती है.

3) ट्रस्ट - ट्रस्ट रजिस्ट्रेशन के बाद किसी भी प्रस्ताव पारित करने की सूचना ट्रस्ट रजिस्ट्रेशन ऑफिस को नहीं देनी होती है.हाँ विभिन्न महकमें से फंडिंग मिल जाए इसके लिए एन्यूअल रिपोर्ट व ओडिट रिपोर्ट ट्रस्ट को बनवाना चाहिए.



जनरल बॉडी और बोर्ड मीटिंग :-

1) कंपनी -कंपनीज एक्ट के तहत प्रत्येक वर्ष कम से कम एक बार एन्यूअल जनरल मीटिंग व चार बोर्ड मीटिंग करना जरूरी है.

2) सोसाइटी- सोसायटीज एक्ट के तहत समय – समय पर जनरल बॉडी व बोर्ड मीटिंग करना जरूरी है.

3) ट्रस्ट - ट्रस्ट एक्ट में ऐसा कोई प्रावधान तो नहीं है लेकिन फिर भी सक्रिय संस्था संचालन के लिए बोर्ड और ट्रस्टीज व कमिटी सदस्यों की नियमित मीटिंग होनी चाहिए. इसके लिए ट्रस्ट डीड में मीटिंग के प्रावधान नियम शामिल करने चाहिए. ट्रस्ट डीड में मीटिंगज का प्रावधान जोड़ा जाता है.



डायरेक्टरशिप / मेम्बरशिप / ट्रस्टीशिप का ट्रांसफर

1) कंपनी -डायरेक्टरशिप का ट्रांसफर हो सकता है. ट्रांसफर पर प्रतिबन्ध भी लगा सकते है.

2) सोसाइटी - एक्ट के अनुसार सदस्यता का ट्रांसफर नहीं हो सकता.

3) ट्रस्ट -ट्रस्टीशिप के ट्रांसफर का इंडियन ट्रस्ट एक्ट में कोई प्रावधान नहीं है.




संस्था के नाम के साथ क्या फाउंडेशन, ट्रस्ट, सोसायटी, समिति एनजीओ शब्द लगा सकते है?

1) कंपनी - फाउंडेशन, समिति शब्द नाम के साथ लगा सकते है.

2) सोसाइटी - फाउंडेशन, समिति, सोसायटी, आर्गेनाइजेशन शब्द संस्था / सोसायटी के नाम के साथ लगा सकते है.

3) ट्रस्ट - ट्रस्ट के नाम के साथ फाउंडेशन, ट्रस्ट, समिति, सोसायटी या इसी तरह के अन्य शब्द लगा सकते है. ट्रस्ट बनाते समय नाम के साथ ट्रस्ट ही लगाना जरूरी नहीं है.


क्या कोई विदेशी डायरेक्टर/सदस्य /ट्रस्टी बन सकता है?


1) कंपनी - विदेशी डायरेक्टर्स बन सकते है.

2) सोसाइटी -कोई विदेशी सोसायटी का सदस्य बन सकता है.

3) ट्रस्ट - ट्रस्ट में विदेशी के सदस्य बनने हेतु कोई प्रतिबन्ध /निषेध नहीं है अतः कोई विदेशी ट्रस्ट में सदस्य बन सकता है.


क्या किसी विदेशी के एनजीओ में रहने पर FCRA मिल जाएगा ?

1) कंपनी - कंपनीज एक्ट में किसी विदेशी के कम्पनी में रहने पर FCRA मिलने में कुछ दिक्कतें है.

2) सोसाइटी - किसी विदेशी के किसी सोसायटी में सदस्य होने पर FCRA मिलना मुश्किल है. लेकिन कुछ मामले में FCRA मिल जाता है.

3) ट्रस्ट -ट्रस्ट में किसी विदेशी के सदस्य होने पर FCRA मिलना मुश्किल है. लेकिन कुछ मामले में FCRA मिल जाता है.यदि उस विदेशी के पास उन्मूल सिटीजनशिप हो तो.


प्रोविजन ऑफ़ रिकरिंग एक्सपेंडिचर

1) कंपनी - तय फीस के साथ एन्यूअल रिटर्नस व बेलेंसशीट रजिस्ट्रार ऑफ कम्पनीज को फ़ाइल करनी होती है. कोई प्रस्ताव पारित होने पर भी फीस देनी होती है.

2) सोसाइटी - कम और मामूली खर्चे की कुछ औपचारिकताएं है,

3) ट्रस्ट - ट्रस्ट रजिस्ट्रेशन के बाद रजिस्ट्रेशन से सम्बंधित किसी भी तरह का रिकरिंग एक्सपेंडिचर नहीं है.




स्कूल /कॉलेज शिक्षण संस्था चलाने की योग्यता :-

1) कंपनी - नॉन प्रॉफिट कम्पनी स्कूल /कॉलेज जैसी शिक्षण संस्थान का संचालन कर सकती है,

2) सोसाइटी - सोसायटी सभी राज्यों में स्कूल – कॉलेज शिक्षण संस्थान खोल सकती है.

3) ट्रस्ट - ट्रस्ट भी स्कूल / कॉलेज जैसी शिक्षण संस्थाएं संचालित कर सकती है. लेकिन भारत के राजस्थान जैसे कई राज्यों में शिक्षण संस्थाएं सिर्फ सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत बनी सोसायटी ही चला सकती है. अतः राजस्थान में शिक्षण संस्था चलानी हो तो संस्था अलग से सोसायटी में बनाए व अन्य सामाजिक कार्यों के लिए ट्रस्ट बनावें.



क्या सदस्य तनख्वाह/ वेतन / सैलेरी संस्था से ले सकते है ?

1) कंपनी - जनरल बॉडी ऑफ़ कम्पनी तनख्वाह सदस्यों को देने का प्रस्ताव पारित करती है. तनख्वाह ले सकते है/लेते है.

2) सोसाइटी - जनरल बॉडी के सदस्यों को तनख्वाह देने के आदेश पारित करने के अधिकार है.

3) ट्रस्ट - ट्रस्टी प्रत्यक्ष रुप से ट्रस्टी के रूप में तनख्वाह नहीं ले सकते. हाँ, किसी प्रोजेक्ट में कन्सल्टेंसी फीस या निर्धारित कार्य के लिए राशि ले सकते है.

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